मनुष्य के विकास की सोंच और उस के जीवन से जुडी मूलभूत संरचना और विकास का आधार उस के जन्म से लेकर मृत्यु तक प्राक्रतिक विकास पर निर्भर करता है, मनुष्य की मूलभूत जरुरतो और उन जरुरतो का सरकारो द्वारा आमजन तक पहुंचना, हमारे यहाँ सरकारों के मुखिया को भगवान् का दर्जा दिया जाता है स्मारिका “सबका साथ - सबका विकास - सबका विश्वास “का विचार लोगो को आमजन मानस तक उन की जरूरत को पहुँचाना और जानकारी देना जिस से उन के जीवन और संसार में परिवर्तन का बोध और सभी में जनजाग्रति का प्रकाश दिखाई दे | मै भी एक गाँव का रहने वाला हु, एक ग्रामीण भारत कि मूलभूत आवश्यकता को तभी जाना जा सकता है ,जब आप उस के संपर्क में रहो और उन के विकास के लिए सोंचो आज प्रधानमंत्री जनकल्याणकारी योजनायें जो कि देश के 135 करोड़ नागरिको के लिए चलाई जा रही है इन योजनाओ कि संख्या आज 150 से ज्यादा है | सवाल वही है कि इन योजनाओ के हक़दार कौन है,ये हमे और उन को जानने कि जरूरत है जिन के लिए ये योजनायें चलाई जा रही है वो कौन लोग है,किस उम्र के है,किस सेक्टर से है,लेकिन सभी मानव है मनुष्य है तो क्यूँ न इन योजनाओ का गठन म...