देसी भाषा अब फिल्म का कमाऊ अस्त्र है-ChandraBhushan Singh actor
देसी घटनाओं पर बन रही फिल्मों में प्रयोग हो रही देसी भाषा लोगों को
आकर्षित कर रही है। इस कारण सीरियल से लेकर फिल्मों तक इसका प्रयोग बढ़ा
है। इसका कारण है जब फिल्म थिएटर पर जाती है तो जहां की भाषा होती वह वहां
के कैरेक्टर से अपने को रिलेट कर लेते हैं जो दूसरे क्षेत्रों के लिए नया
आकर्षण होता है। यह कहना है कि टीवी कलाकार चंद्र भूषण सिंह का।
लाइफ ओके चैनल पर आ रहे प्रसारित सीरियल तुम्हारी पाखी में अनुज नेगी की भूमिका निभा रहे चंद्रभूषण सिंह का कहना है कि देश के छोटे छोटे गांव में कई ऐसे कैरेक्टर हैं जिनपर अच्छी फिल्में बनाई जा सकती है। यह फिल्में सफल भी हो रही है। गैंग्स आफ वासेपुर, पान सिंह तोमर जैसी फिल्में इसका उदाहरण हैं। उनका कहना है कि इंटर नेट और संचार माध्यमों से लोग पूरी दुनिया से जुड़ गए हैं, लेकिन आज भौगोलिक और समाजिक रूप से उतना नहीं जुड़ पाते हैं। ऐसे में जब ऐसी फिल्में आती हैं तो लोग आकर्षित होते हैं। देसी लुक में अमीरी दिखाने के सवाल पर उनका कहना है कि समृद्धि आंखों को आकर्षित करती है इसलिए देसी संस्कृति को दिखाने के लिए समृद्धि दिखाई जाती है। महंगी गाड़ियां आलीशान घर दिखाए जाते हैं। उन्नाव के चकलवंशी के रहने वाले चंद्रभूषण का कहना है कि देसी विषयों और देसी कैरेक्टरों के बढ़ रहे चलन के कारण ही गरीब और छोटे क्षेत्रों के कलाकारों की फिल्मों में पहुंच बढ़ी है। मनोज बाजपेई, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजपाल यादव व वह स्वयं इसके उदाहरण हैं। माया नगरी में स्थान बनाने के बारे में उनका कहना था कि इन सब्जेक्टों के आने से थोड़ी राहत मिली है लेकिन आसान नहीं है। उनका कहना है कि बीच में बड़े कलाकारों के लड़कों और बड़े शहरों के अमीर घरानों के लड़कों ने स्थान जरूर बनाया, लेकिन अब गांवों को आधार बनाकर बन रही फिल्मों में वह उतने सफल नहीं हो रहे जो गांव से गए कलाकार जीवंत कर रहे हैं।
लाइफ ओके चैनल पर आ रहे प्रसारित सीरियल तुम्हारी पाखी में अनुज नेगी की भूमिका निभा रहे चंद्रभूषण सिंह का कहना है कि देश के छोटे छोटे गांव में कई ऐसे कैरेक्टर हैं जिनपर अच्छी फिल्में बनाई जा सकती है। यह फिल्में सफल भी हो रही है। गैंग्स आफ वासेपुर, पान सिंह तोमर जैसी फिल्में इसका उदाहरण हैं। उनका कहना है कि इंटर नेट और संचार माध्यमों से लोग पूरी दुनिया से जुड़ गए हैं, लेकिन आज भौगोलिक और समाजिक रूप से उतना नहीं जुड़ पाते हैं। ऐसे में जब ऐसी फिल्में आती हैं तो लोग आकर्षित होते हैं। देसी लुक में अमीरी दिखाने के सवाल पर उनका कहना है कि समृद्धि आंखों को आकर्षित करती है इसलिए देसी संस्कृति को दिखाने के लिए समृद्धि दिखाई जाती है। महंगी गाड़ियां आलीशान घर दिखाए जाते हैं। उन्नाव के चकलवंशी के रहने वाले चंद्रभूषण का कहना है कि देसी विषयों और देसी कैरेक्टरों के बढ़ रहे चलन के कारण ही गरीब और छोटे क्षेत्रों के कलाकारों की फिल्मों में पहुंच बढ़ी है। मनोज बाजपेई, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजपाल यादव व वह स्वयं इसके उदाहरण हैं। माया नगरी में स्थान बनाने के बारे में उनका कहना था कि इन सब्जेक्टों के आने से थोड़ी राहत मिली है लेकिन आसान नहीं है। उनका कहना है कि बीच में बड़े कलाकारों के लड़कों और बड़े शहरों के अमीर घरानों के लड़कों ने स्थान जरूर बनाया, लेकिन अब गांवों को आधार बनाकर बन रही फिल्मों में वह उतने सफल नहीं हो रहे जो गांव से गए कलाकार जीवंत कर रहे हैं।
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